जब भी दुनिया की काली बलाएं, मेरे सर पर आ जाती है...
हर बार उसे माँ बस, एक काले टिके से टाल जाती है।
आदित्य मौर्य
कंटालिया
जब भी दुनिया की काली बलाएं, मेरे सर पर आ जाती है...
हर बार उसे माँ बस, एक काले टिके से टाल जाती है।
आदित्य मौर्य
कंटालिया
हुआ गांव कंटालिया में, हैवानियत वाला काम
बूढ़ी माँ का शय्या पे, कर दिया काम तमाम।
खून ख़ोल उठा सबका, मचा तहलका सरेआम
कसूर क्या था माँ का, दरिंदों ने किया ये काम।।
चीख़ रहा है सायरन, दौड़ रही है पुलिस
मगर ना कोई डर है, ना आँखों में पीड़ा होती।
जान गयी वृद्धा की पर, क्यों ना कही इंसानियत रोती
चुड़िया हो गयी खामोश, ना अब खनखनाहत होती।।
इस महकमें की भी अजीब आबरु होती है
पुलिस की ड्यूटी, वारदात के बाद शुरू होती है।
घटना को देखने, उमड़ा पूरा जन सैलाब
आँखो में थी नमी, पीड़ा सबके मन में होती।।
देख के हालात भडके, भाई पंकज शर्मा क्रोध् से
भीड़ गए जाकर सीधे ही , साहब थानेदार से।
कहता "कवि आदित्य" जोड़ कर अपने दोनों हाथ
हो जाओ सब एक, फिर ना हो ऐसा किसी के साथ।।
कवि आदित्य मौर्य
कंटालिया
8058398148
उम्मीद रही अधूरी, पर सपने खुद के नहीं तोडूंगा
रुक रुक कर चलूँगा, पर हार कभी नहीं मानूँगा।
कठिन रास्तों का क्या है, आयेगें और जाएंगे
अटुट रहे संकल्प मेरा, यही हर बार मन में ठानूँगा।।
आदित्य मौर्य
कंटालिया
उड़ीसा की एक घटना पर
👇🏻
एक लाश ढो रहा था
दूजा कैमरा चला रहा था।
मदद, दया की एक बार भी तुमने नहीं सोची
इतना क्या बेगानापन, नजरे भी कर दी नीची।
इंसानियत खो दी तुमने, अब चाहिये माँ की गोदी
सब किया है तुमने फिर, दोषी क्यों सिर्फ मोदी।
कवि आदित्य मौर्य
कंटालिया
जब से तुमने, तुम से आप कहा
लगा जैसे हम बेगाने हुए ।
थे कभी रिश्ते में हम साथ साथ
आज तो तुम्हारे सैकड़ो ठिकाने हुए।।
✍🏻 कवि आदित्य मौर्य✍🏻
कंटालिया
रहने को जमी नहीं पर उनको आस्मां चाहिए
आतंक के आवाम को दुनिया में सम्मान चाहिए।
सूरत तो देखी नहीं आइने में अपनी कभी मगर
सुवर की औलादों को हमारा कश्मीर चाहिए।
कवि आदित्य मौर्य
कंटालिया