📋✍🏻...
🌾 लजीज़ खाने की नही हैं तम्मना, ना महलों के नाम लेता हूं....🍛
🌸 मिल जाये समय पर दाल रोटी, उसी को पकवान मान लेता हूं।🍧
✍कवि आदित्य मौर्य
कंटालिया
8058398148
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🌾 लजीज़ खाने की नही हैं तम्मना, ना महलों के नाम लेता हूं....🍛
🌸 मिल जाये समय पर दाल रोटी, उसी को पकवान मान लेता हूं।🍧
✍कवि आदित्य मौर्य
कंटालिया
8058398148
तुझे जाना है तो जा, एक दिन याद करेगी बातों को
गूगल पर लिखकर नाम मेरा, तू सर्च करेगी रातों को।
बड़े शहर की रहने वाली, बातों में तेरे इंग्लिश बोली
छोटे गाँव का देशी छोरा, पास मेरे हैं खाली झोली।
S.C. में तुझे चैन ना आये, तड़प रही अब बातों को
गूगल पर लिखकर नाम मेरा, तू सर्च करेगी रातों को।
वो दिन भी याद मुझे, हाथ जोड़ कर आया था
भाई ने तेरे मारे धक्के, घर से बाहर भगाया था।
तेरे जैसी बहुत हैं मिलती, जोड़ें रहती प्यारे हाथों को
गूगल पर लिखकर नाम मेरा, तू सर्च करेगी रातों को।
मारवाड़ी का छोरा बावली, मुझे नाम बड़ा कमाना हैं
मेरी लिखी कविताओ को, अब पढ़े पूरा जमाना है।
प्यार की अब फुर्सत कोनी, भूल गया तेरी यादों को
गूगल पर लिखकर नाम मेरा, तू सर्च करेगी रातों को।