बुधवार, 1 नवंबर 2017

मैं रैगर

भेदभाव को अब सब छोड़े, शिक्षा का गुणगान होना चाहिए
रैगर जाति का मैं बेटा, मन मे स्वाभिमान होना चाहिए

मेहनत करके हम जीते हैं, आँखे चुराना हमारा कार्य नहीं
गैरो के उपकारो पर पलना, अब ये हमे स्वीकार्य नही।
कब तक शोषित बने रहेंगे, सभी का सम्मान होना चाहिए
रैगर जाति का मैं बेटा, मन मे स्वाभिमान होना चाहिए

भूखे प्यासे हम रह जाते, पर कठपुतली बनकर नही नाचते
चन्द पैसो का लालच देखकर, तलवे किसी के नही चाटते।
संत रैदास की हैं हम संताने, उनका मान होना चाहिए
रैगर जाति का मैं बेटा, मन मे स्वाभिमान होना चाहिए

कमज़ोर होगे नही अपने सपने , बड़ी दूर तक जाना है
क्या होती है रैगर जाति, ये दुनिया को बतलाना हैं।
ठान ले जब दृढ़ संकल्प तो, मुठी में आसमान होना चाहिए
रैगर जाति का मैं बेटा, मन मे स्वाभिमान होना चाहिए

   
                   कवि आदित्य मौर्य
                          कंटालिया
                     8058398148