दर्पण रोज तुझे मेरी याद दिलाता होगा
कभी तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा।
वो बरसात वाली भीगी रातें
करनी माता की सुनहरी बातें।
चाँद भी तुझे देख देख शर्माता होगा
कभी तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा।
वो गोद में लेकर मुझे सुलाना
मुझ से ही अपनी नजरे चुराना।
हाथ का कगंन कुछ याद दिलाता होगा
कभी तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा।
वो तेरी खुली जुल्फों का लहराना
दाँतो तले तेरी उंगली का दबाना।
हवा में अब भी तेरा दुपटा लहराता होगा
कभी तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा।
✍ कवि आदित्य मौर्य
🙏कंटालिया🙏