सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

दरिंदगी

कोई बिजली कोई शमशान तो कोई, कब्रिस्तान का दृश्य दिखा जाता है
कोई राम कोई श्याम तो कोई, गधों पर एक नयी फ़िल्म दिखा जाता है।

क्यों सब ख़ामोश रह जाते है जब, भरे बाज़ार में एक दरिंदा
एक मासूम सी परी के साथ, अपनी दरिन्दगी की कहानी दिखा जाता है।

रविवार, 26 फ़रवरी 2017

राखी की ड़ोर

चाँद सी खूबसूरत तो कभी,  अंतरिक्ष की माया लिख दू
हो गर मुझे इज़ाज़त तो अपनी, बहना को खुदा लिख दू......।

देने को तो कुछ  भी नहीं है, आज पास में मेरे मगर.......
राखी की एक डोर के बदले, पूरी ज़िंदगी उसके नाम लिख दू.......।

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

सितारा

रंगहीन था मै पर अब, रंगीन  सा बन गया
काँच के टुकड़े से अब, कोहिनूर सा बन गया।

मिला है मुझे जब से, अपने दोस्तों  का  आश्रीवाद
आज कल मै भी एक, चमकता सा सितारा बन गया।