बुधवार, 1 नवंबर 2017

मैं रैगर

भेदभाव को अब सब छोड़े, शिक्षा का गुणगान होना चाहिए
रैगर जाति का मैं बेटा, मन मे स्वाभिमान होना चाहिए

मेहनत करके हम जीते हैं, आँखे चुराना हमारा कार्य नहीं
गैरो के उपकारो पर पलना, अब ये हमे स्वीकार्य नही।
कब तक शोषित बने रहेंगे, सभी का सम्मान होना चाहिए
रैगर जाति का मैं बेटा, मन मे स्वाभिमान होना चाहिए

भूखे प्यासे हम रह जाते, पर कठपुतली बनकर नही नाचते
चन्द पैसो का लालच देखकर, तलवे किसी के नही चाटते।
संत रैदास की हैं हम संताने, उनका मान होना चाहिए
रैगर जाति का मैं बेटा, मन मे स्वाभिमान होना चाहिए

कमज़ोर होगे नही अपने सपने , बड़ी दूर तक जाना है
क्या होती है रैगर जाति, ये दुनिया को बतलाना हैं।
ठान ले जब दृढ़ संकल्प तो, मुठी में आसमान होना चाहिए
रैगर जाति का मैं बेटा, मन मे स्वाभिमान होना चाहिए

   
                   कवि आदित्य मौर्य
                          कंटालिया
                     8058398148

मंगलवार, 10 अक्तूबर 2017

दाल रोटी

📋✍🏻...

🌾 लजीज़ खाने की नही हैं तम्मना, ना महलों के नाम लेता हूं....🍛
🌸 मिल जाये समय पर दाल रोटी, उसी को पकवान मान लेता हूं।🍧

               ✍कवि आदित्य मौर्य
                         कंटालिया
                       8058398148

बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

मारवाड़ी छोरा

तुझे जाना है तो जा, एक दिन याद करेगी बातों को
गूगल पर लिखकर नाम मेरा, तू सर्च करेगी रातों को।

बड़े शहर की रहने वाली, बातों में तेरे इंग्लिश बोली
छोटे गाँव का देशी छोरा, पास मेरे हैं खाली झोली।
S.C. में तुझे चैन ना आये, तड़प रही अब बातों को
गूगल पर लिखकर नाम मेरा, तू सर्च करेगी रातों को।

वो दिन भी याद मुझे, हाथ जोड़ कर आया था
भाई ने तेरे मारे धक्के, घर से बाहर भगाया था।
तेरे जैसी बहुत हैं मिलती, जोड़ें रहती प्यारे हाथों को
गूगल पर लिखकर नाम मेरा, तू सर्च करेगी रातों को।

मारवाड़ी का छोरा बावली, मुझे नाम बड़ा कमाना हैं
मेरी लिखी कविताओ को, अब पढ़े पूरा जमाना है।
प्यार की अब फुर्सत कोनी, भूल गया तेरी यादों को
गूगल पर लिखकर नाम मेरा, तू सर्च करेगी रातों को।

शनिवार, 30 सितंबर 2017

DBA

जीवन से क्यो होते निराश, बेरोजगार बन कर बैठे हो
बडी बडी डिग्रियां लेकर भी, तुम शर्म हार कर बैठे हो।

कब तक कोसते रहोगे तुम, कब तक सड़कों पर घूमोगे
फेसबुक की ख्याली दुनिया में, तुम होठ परियो के चुमोगे।

बूढ़ी माँ के तुम सपने हो, पिता के आँख के तारे हो
तुमको कुछ और नही दिखता, लड़की पर दिल हारे हो

उठो जागरण की बेला हैं, अब ना तुम आराम करो
करके जॉइन  DBA को, शुरू खुद का व्यापार करो।

बस कुछ महीनों की मेहनत, फिर सपनें साकार हो जायेगे
आसमान की औकाद ही क्या, चाँद तारे ग़ुलाम हो जायेगे।

बुधवार, 12 जुलाई 2017

लाहौर में तिरंगा

कब तक बंदे रहेंगे हम, अब जंजीर तोड़ दी जाएगी
जो आंख उठेगी वतन पर मेरे, आंख फोड़ दी जाएगी।

बीज शांति के हमने बोये, पर तूने बारुद जला डाले
कश्मीर के ख्वाब में न जाने, कितने कसाब बना डाले।।

खाने को पास दो दाने नही, भीख मांग कर लाता हैं
आतंकवाद के दम पर तु, हमकों आँख दिखाता है।

चीन के चक्कर मे पड़कर, देश को अपने बाट दिया
हिम्मत तेरी इतनी बढ़ गयी, सैनिक का सर काट दिया।।

आतंकवाद की तेरी खेती, अब तहस नहस कर डालेंगे
पीढ़ी दर पीढ़ी तड़पेगी, ऐसा सबक सीखा कर मानेगें।

कश्मीर का ख़्वाब छोड़ दे वरना, लाहौर हाथ से जाएगा
मिट जाएगा नक्शे से तू, बस तेरा इतिहास रह जाएगा।।

सोमवार, 3 जुलाई 2017

प्यासी आँखे

जुल्फों को लहरा के छत पर,
मुझसे मिलने आ जाना
मेरी प्यासी आँखों को एक,
ख़्वाब दिखाने आ जाना ।

            तेरे कानों का जुमका,
          एक मधुर गान सुनाता है
          मनमोहन सा तेरा मुखड़ा,
          एक नयी उमंग जगाता है।

जब भी तन्हा हो जाऊ,
बाहों में सुलाने आ जाना
मेरी प्यासी आँखों को एक,
ख़्वाब दिखाने आ जाना ।

           
            जब भी तुम गुस्सा होती हो,
            एक दरार सी बन जाती है
             अनजाने में ही जाने क्यों,
             हम दोनों में ठन जाती है।

मेरी वीरान सी दुनिया में,
एक आस जगाने आ जाना
मेरी प्यासी आँखों को एक,
ख़्वाब दिखाने आ जाना।


                    कवि आदित्य मौर्य
                          कंटालिया
                       8058398148

शुक्रवार, 23 जून 2017

प्रेम की जोत


जब आसमान में बिजली चमके,
एक नयी उमंग जगा देना
आलिंगन में भर के मुझकों,
माथे पर अपने सजा देना।

काजल तुम्हारी आँखों का,
चाँद को शर्मिंदा करता है
नाक का वो पीला मोती,
सबको पागल सा करता है।

अपने हाथों के कंगन से,
आँखों की नींदे जगा देना
आलिंगन में भर के मुझकों,
माथे पर अपने सजा देना।

तुम्हारे पायल की रुनझुन,
जैसे मोहिनी गीतों की धुन
तेरी वो मीठी मधुर वाणी,
मुझको कर देती है सुन।

प्यासा प्यासा सा रहता हूं,
आँखों से मुझको पिला देना
आलिंगन में भर के मुझकों,
माथे पर अपने सजा देना।

कजरारी सी तेरी आँखे,
गालों पर है काला तिल
तेरे नशीले रूप पर,
फिसल गया है मेरा दिल।

वीराने से मन मंदिर में,
प्रेम की जोत जला देना
आलिंगन में भर के मुझकों,
माथे पर अपने सजा देना।

मंगलवार, 20 जून 2017

अंतरिक्ष की माया

📋✍🏻......

💫 मेरी एक ताजा हास्य रचना.....इतनी ताज़ा की अभी तक भांप निकल रही है।

    "अंतरिक्ष की माया"

🍂 उम्मीद करूँगा की आप सब को रचना पसंद आएगी....
रचना अच्छी लगे तो कृपया  अपनी प्रतिक्रिया जरूर देवे।🌾

            🖌 कवि आदित्य मौर्य
                      कंटालिया
                   8058398148
               🙏🏻💐💐💐🙏🏻

रविवार, 28 मई 2017

इज़हार

📋✍🏻......

  छत पर चढ़ कर रोज, वो मुझे इशारा करती थी
परदे के पीछे छुप कर, वो मुझे निहारा करती थी।

   सुन ना ले कोई दूजा,  हम दोंनो की प्यारी बातें
चुपके चुपके उन नयनों से, वो मुझे पुकारा करती थी।

         
                    ✍ कवि आदित्य मौर्य
                              कंटालिया
                      🙏 8058398148 🙏
              

शनिवार, 27 मई 2017

बरसों पहले.....

मेरे नयनों में अश्रुओं का, सैलाब उमड़ कर आया है
बरसों पहले जिन्हें भुलाया, फिर वो सामने आया है।

एक मधुर मुस्कान के बदले, सब कुछ वारा करती थी
छत पे चढ़ के चुपके चुपके, मुझे इशारे करती थी।
राह दिखाने वाले ने ही, अब मुझको भटकाया है।
बरसों पहले जिन्हें भुलाया, फिर वो सामने आया है।

ख़्वाब उसी के देखें मैने, उसको ही तो पूजा था
मन मंदिर में उसे बसाया, और कोई ना दूजा था।
जख़्म मिटाने वाले ने ही, अब मुझको तड़पाया है
बरसों पहले जिन्हें भुलाया, फिर वो सामने आया है।

बिछड़ कर उससे अब मुझकों, सब कुछ बेगाना लगता है
सासों के बिन नहीं जीना, मर जाना अच्छा लगता है।
वफ़ा निभाने वाले ने ही, मुझे इस कदर रुलाया है
बरसों पहले जिन्हें भुलाया, फिर वो सामने आया है।

                 ✍ कवि आदित्य मौर्य
                         कंटालिया
                  🙏 8058398148🙏

रविवार, 21 मई 2017

दलितों के मसीहा

शिक्षित बनकर अफसर बनेंगे, अब यह वक्त हमारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस वही सहारा है।

याद करो वर्ण व्यवस्था को, आतंक बड़ा ही गहरा था
अंधविश्वासी ढोंगियों का, हरदम रहता पहरा था।
देख दलित को सामने अपने, उसे धिक्कारा जाता था
शूद्र, अछूत, बेशर्म जैसे, शब्दों से पुकारा जाता था।

दलितों को देकर अधिकार, उन्होंने हमको तारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस वही सहारा है ।

तलवे इनके नहीं चाटते तो, हम कंगाल नहीं होते
कठपुतली बन कर नहीं नाचते, वे मालामाल नहीं होते ।
संगठित रहकर सघर्ष करो, इसका भान कराया है
भेदभाव का अब हो पतन, इसलिए संविधान बनाया है।

नमन करो उस बाबा को, उन्होंने हमें संवारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस  वहीँ सहारा है।

   

                 कवि आदित्य मौर्य
                     कंटालिया

मंगलवार, 16 मई 2017

श्रीमति की मार

             बचा लो बचा लो,  तुम इनको मेरे राम
         बीवियों ने कर दिया ,इनका काम तमाम।

सुबह पांच बजते ही उठ जाते हैं ये, घर में झाड़ू पोछा भी निकालते
टूथपेस्ट योगा करने के बाद में ये ,चुपके चुपके बर्तनों को मांझ कर डालते।
मैडम जी सो रही उनको जगाते फिर ये, हौले से बिस्तर भी समेट कर डालते
ऑफिस जाते जाते भी कहां पर चैन इनको, कपड़े सुखाने को ये छत पर डालते।

                खाना भी हो गया है, इनका तो हराम
              बचा लो बचा लो तुम, इनको मेरे राम।

आंखें यह घुमाते देखो ताक झाँक करते रहते, पड़ोसन पर मुस्कान भी वारते
सभी से चुरा कर नजरे करने को मौज-मजे, बीयर बार में पैग भी मारते।
बीवी की ना माने बात पड़ती है इनको लात, कभी कभी जीत कर भी हारते
और मिले जो आदेश फ़ौरन ही फिर देखो, जुल्फों से निकाल कर जुए भी मारते।

                   चले ना जाये कही ये यम के धाम
               बचा लो बचा लो तुम, इनको मेरे राम।

                       कवि आदित्य मौर्य
                           कंटालिया
                         8058398148

शनिवार, 13 मई 2017

प्यारी अम्मा

📋✍🏻

कुछ इस तरह दिन भर की, थकान उतार देती है
बेटे की मुस्कान देख माँ, अपने दुःख दर्द भुला देती है।

चुड़ी कंगन महंगे खिलौने, नहीं देने को पास में मग़र....
ग़रीब माँ अपने बच्चो को, लोरी गा के सुला देती है।

           
                   कवि आदित्य मौर्य
                          कंटालिया

शनिदेव सा कुरूप

मै शनिदेव सा कुरूप, तुम सूंदर रूप की काया हो....
मै धरती पर हु कबाड़ सा, तुम अंतरिक्ष की माया हो।

तूम 4जी जैसी तेज तरार, मै 2जी वाला अब्बा हु
तुम लाखों दिलों की धड़कन, मै खाली पड़ा डिब्बा हु।

तुम आसमान में उड़ने वाली, मै ज़मी का काला कीड़ा हु
तुम सतरंगी दुनिया वाली, मैं गहरे घाव की पीड़ा हु।

तुम रसगुले सी मीठी मीठी, मै करेले जैसा खारा हु
तुम परियों की रानी जैसी , मैं दिल तुम पर हारा हु।

                      कवि आदित्य मौर्य
                           कंटालिया
                        8058398148

गुरुवार, 11 मई 2017

एक भूतनी

जिसे मैंने अपना माना था
वो ही मुझे भुला कर बैठी है

ज़िंदा हु आज भी उसकी हसीन यादों में
किसी और को वो अपना बना कर बैठी है।

कर के मेरे इस दिल के टुकड़े टुकड़े
वो अपना दिल किसी और से लगा बैठी है

कल तक जो चलती थी हाथों में हाथ लेकर
आज वो ही हाथ किसी और को थमा बैठी है।

     
               ✍  कवि आदित्य मौर्य
                        कंटालिया
                  🙏8058398148🙏

इरादा

📋✍🏻........

चाँद तारे तोड़ लाने की,  बड़ी बातें नहीं करता....
जिसे कभी निभा ना सकू, ऐसा वादा नहीं करता।

इरादा है आस्मा तोड़ कर, दिखाऊ इस दुनिया को......
मगर औकाद से ज्यादा, हवा में उड़ा नहीं करता।☘

    
                ✨ कवि आदित्य मौर्य
                          कंटालिया
             🙏🏻💐💐💐💐💐🙏🏻

रविवार, 9 अप्रैल 2017

बाबा साहब

अपने समाज का करू क्या मै बखाण, इसकी तो आन बान शान ही निराली है
छठा इसकी देखो लग रही जैसे, ताज से भी प्यारी और बड़ी ही निराली है।

कुछ नहीं मांगू अब कुछ नहीं चाहू बस, एक बात हमको कर के दिखानी है
बाबा साहब ने सोचा था जो बरसों पहले, वैसी एकता समाज में लानी है।

                        कवि आदित्य मौर्य
                           कंटालिया

मंगलवार, 28 मार्च 2017

तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा

      दर्पण रोज तुझे मेरी याद दिलाता होगा
       कभी तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा।

           वो बरसात वाली भीगी रातें
          करनी माता की सुनहरी बातें।
       चाँद भी तुझे देख देख शर्माता होगा
      कभी तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा।

           वो गोद में लेकर मुझे सुलाना
           मुझ से ही अपनी नजरे चुराना।
      हाथ का कगंन कुछ याद दिलाता होगा
       कभी तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा।

         वो तेरी खुली जुल्फों का लहराना
         दाँतो तले तेरी उंगली का दबाना।
     हवा में अब भी तेरा दुपटा लहराता होगा
      कभी तुझे भी मेरा ख्याल आता होगा।

                 
                   ✍ कवि आदित्य मौर्य
                         🙏कंटालिया🙏

शनिवार, 11 मार्च 2017

उत्तरप्रदेश चुनाव

माया को तो भ्रम टूट गया, राहुल की भी टूटी खाट
मोदी लहर में अखिलेश के, सर पर हो गयी टाट।

(जोगीरा सा रा रा रा रा.....जोगीरा सा रा रा रा रा)

कांग्रेस का तो सबकुछ लूट गया, सर पर रहा ना ताज
जश्न मनाओ पंजाब में अब, बच गयी थोड़ी सी लाज।

राहुल जी अब तुम भी, कुछ दिन करो आराम
करके थोड़ा अब मंथन, बोलो जय श्री राम।

जोगीरा सा रा रा रा रा.....जोगीरा सा रा रा रा रा
        ( बुरा ना मानो होली है)

                   कवि आदित्य मौर्य
                        कंटालिया

मंगलवार, 7 मार्च 2017

एक भूतनी

जिसे मैने अपना खुदा माना था
आज वो ही मुझे भुला के बैठी है..।

ज़िंदा हूं आज भी उसकी हसीन यादों मे...
किसी और को वो अपना बना के बैठी है।

कर के मेरे इस  दिल के टुकड़े टुकड़े
वो अपना दिल किसी और से लगा बैठी है...

कल तक जो चलती थी हाथों में हाथ लेकर
आज वो ही अपना हाथ किसी और को थमा बैठी है।

                कवि आदित्य मौर्य
                   कंटालिया
                 8058398148

शुक्रवार, 3 मार्च 2017

माँ (निवाला)

💫💫💫💫💫💐

खुद रह कर के भूखी, भूख बच्चो की मिटा देती है......
अपने मुंह का निवाला भी, मेरी माँ मुझे खिला देती है।

         कवि आदित्य मौर्य
             कंटालिया
   💐💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻

सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

दरिंदगी

कोई बिजली कोई शमशान तो कोई, कब्रिस्तान का दृश्य दिखा जाता है
कोई राम कोई श्याम तो कोई, गधों पर एक नयी फ़िल्म दिखा जाता है।

क्यों सब ख़ामोश रह जाते है जब, भरे बाज़ार में एक दरिंदा
एक मासूम सी परी के साथ, अपनी दरिन्दगी की कहानी दिखा जाता है।

रविवार, 26 फ़रवरी 2017

राखी की ड़ोर

चाँद सी खूबसूरत तो कभी,  अंतरिक्ष की माया लिख दू
हो गर मुझे इज़ाज़त तो अपनी, बहना को खुदा लिख दू......।

देने को तो कुछ  भी नहीं है, आज पास में मेरे मगर.......
राखी की एक डोर के बदले, पूरी ज़िंदगी उसके नाम लिख दू.......।

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

सितारा

रंगहीन था मै पर अब, रंगीन  सा बन गया
काँच के टुकड़े से अब, कोहिनूर सा बन गया।

मिला है मुझे जब से, अपने दोस्तों  का  आश्रीवाद
आज कल मै भी एक, चमकता सा सितारा बन गया।

बुधवार, 4 जनवरी 2017

मिट जाएगा नक़्शे से पाक

पाकिस्तान के विरुद्ध मेरी एक नयी रचना

          "मिट जाएगा नक़्शे से"
              💥💥💥💥

कब तक बंधे रहेंगे हम, अब जंजीर तोड़ दी जाएगी
जो आंख उठेगी वतन पे मेरे, वो आँख फोड़ दी जाएगी।
फूलों के गुलदस्ते छोड़ो, अब  बारूदी बम ही आएगा
मिट जाएगा नक्शे से तू, बस इतिहास रह जाएगा।

कर अहसान ज़मी दी तुझको, दुनिया में सम्मान दिया
बदले में तूने हमको बस, ये आतंकी पैगाम दिया।
बचकानी हरकत छोड़ दे वरना,  लाहौर भी हाथ से जाएगा
मिट जाएगा नक्शे से तू, बस इतिहास रह जाएगा।

हमने बीज शांति के बोयें, तूने बारुद जला डाले
कश्मीर के ख्वाब में न जाने, कितने कसाब बना डाले।
अग्नि के वार से सबकुछ, तहस नहस हो जाएगा
मिट जाएगा नक्शे से तू,बस इतिहास रह जाएगा।

               कवि आदित्य मौर्य
                   कंटालिया
                8058398148