शनिवार, 30 सितंबर 2017

DBA

जीवन से क्यो होते निराश, बेरोजगार बन कर बैठे हो
बडी बडी डिग्रियां लेकर भी, तुम शर्म हार कर बैठे हो।

कब तक कोसते रहोगे तुम, कब तक सड़कों पर घूमोगे
फेसबुक की ख्याली दुनिया में, तुम होठ परियो के चुमोगे।

बूढ़ी माँ के तुम सपने हो, पिता के आँख के तारे हो
तुमको कुछ और नही दिखता, लड़की पर दिल हारे हो

उठो जागरण की बेला हैं, अब ना तुम आराम करो
करके जॉइन  DBA को, शुरू खुद का व्यापार करो।

बस कुछ महीनों की मेहनत, फिर सपनें साकार हो जायेगे
आसमान की औकाद ही क्या, चाँद तारे ग़ुलाम हो जायेगे।