शुक्रवार, 8 मार्च 2019

नई राह

रात बड़ी काली थी पर, उजाला बड़ा कर दिया
   रखा जो हाथ सर पर, नया सवेरा कर दिया।

   था आज तक मैं बस, गीली मिट्टी का लोंदा
   देकर आकार मुझे, पैरो पर खड़ा कर दिया।


             🖋 कवि आदित्य मौर्य
                   छोरा मारवाड़ का