रहने को जमी नही, पर उनको आसमान चाहिए आतंक के आवाम को, दुनिया मे सम्मान चाहिए।
सूरत तो देखी नही, कभी आईने में मगर सुवर की औलादों को, कश्मीर जैसी शान चाहिए।