शिक्षित बनकर अफसर बनेंगे, अब यह वक्त हमारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस वही सहारा है।
याद करो वर्ण व्यवस्था को, आतंक बड़ा ही गहरा था
अंधविश्वासी ढोंगियों का, हरदम रहता पहरा था।
देख दलित को सामने अपने, उसे धिक्कारा जाता था
शूद्र, अछूत, बेशर्म जैसे, शब्दों से पुकारा जाता था।
दलितों को देकर अधिकार, उन्होंने हमको तारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस वही सहारा है ।
तलवे इनके नहीं चाटते तो, हम कंगाल नहीं होते
कठपुतली बन कर नहीं नाचते, वे मालामाल नहीं होते ।
संगठित रहकर सघर्ष करो, इसका भान कराया है
भेदभाव का अब हो पतन, इसलिए संविधान बनाया है।
नमन करो उस बाबा को, उन्होंने हमें संवारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस वहीँ सहारा है।
कवि आदित्य मौर्य
कंटालिया