रविवार, 28 मई 2017

इज़हार

📋✍🏻......

  छत पर चढ़ कर रोज, वो मुझे इशारा करती थी
परदे के पीछे छुप कर, वो मुझे निहारा करती थी।

   सुन ना ले कोई दूजा,  हम दोंनो की प्यारी बातें
चुपके चुपके उन नयनों से, वो मुझे पुकारा करती थी।

         
                    ✍ कवि आदित्य मौर्य
                              कंटालिया
                      🙏 8058398148 🙏
              

शनिवार, 27 मई 2017

बरसों पहले.....

मेरे नयनों में अश्रुओं का, सैलाब उमड़ कर आया है
बरसों पहले जिन्हें भुलाया, फिर वो सामने आया है।

एक मधुर मुस्कान के बदले, सब कुछ वारा करती थी
छत पे चढ़ के चुपके चुपके, मुझे इशारे करती थी।
राह दिखाने वाले ने ही, अब मुझको भटकाया है।
बरसों पहले जिन्हें भुलाया, फिर वो सामने आया है।

ख़्वाब उसी के देखें मैने, उसको ही तो पूजा था
मन मंदिर में उसे बसाया, और कोई ना दूजा था।
जख़्म मिटाने वाले ने ही, अब मुझको तड़पाया है
बरसों पहले जिन्हें भुलाया, फिर वो सामने आया है।

बिछड़ कर उससे अब मुझकों, सब कुछ बेगाना लगता है
सासों के बिन नहीं जीना, मर जाना अच्छा लगता है।
वफ़ा निभाने वाले ने ही, मुझे इस कदर रुलाया है
बरसों पहले जिन्हें भुलाया, फिर वो सामने आया है।

                 ✍ कवि आदित्य मौर्य
                         कंटालिया
                  🙏 8058398148🙏

रविवार, 21 मई 2017

दलितों के मसीहा

शिक्षित बनकर अफसर बनेंगे, अब यह वक्त हमारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस वही सहारा है।

याद करो वर्ण व्यवस्था को, आतंक बड़ा ही गहरा था
अंधविश्वासी ढोंगियों का, हरदम रहता पहरा था।
देख दलित को सामने अपने, उसे धिक्कारा जाता था
शूद्र, अछूत, बेशर्म जैसे, शब्दों से पुकारा जाता था।

दलितों को देकर अधिकार, उन्होंने हमको तारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस वही सहारा है ।

तलवे इनके नहीं चाटते तो, हम कंगाल नहीं होते
कठपुतली बन कर नहीं नाचते, वे मालामाल नहीं होते ।
संगठित रहकर सघर्ष करो, इसका भान कराया है
भेदभाव का अब हो पतन, इसलिए संविधान बनाया है।

नमन करो उस बाबा को, उन्होंने हमें संवारा है
भीमराव पर नाज करो, अपना बस  वहीँ सहारा है।

   

                 कवि आदित्य मौर्य
                     कंटालिया

मंगलवार, 16 मई 2017

श्रीमति की मार

             बचा लो बचा लो,  तुम इनको मेरे राम
         बीवियों ने कर दिया ,इनका काम तमाम।

सुबह पांच बजते ही उठ जाते हैं ये, घर में झाड़ू पोछा भी निकालते
टूथपेस्ट योगा करने के बाद में ये ,चुपके चुपके बर्तनों को मांझ कर डालते।
मैडम जी सो रही उनको जगाते फिर ये, हौले से बिस्तर भी समेट कर डालते
ऑफिस जाते जाते भी कहां पर चैन इनको, कपड़े सुखाने को ये छत पर डालते।

                खाना भी हो गया है, इनका तो हराम
              बचा लो बचा लो तुम, इनको मेरे राम।

आंखें यह घुमाते देखो ताक झाँक करते रहते, पड़ोसन पर मुस्कान भी वारते
सभी से चुरा कर नजरे करने को मौज-मजे, बीयर बार में पैग भी मारते।
बीवी की ना माने बात पड़ती है इनको लात, कभी कभी जीत कर भी हारते
और मिले जो आदेश फ़ौरन ही फिर देखो, जुल्फों से निकाल कर जुए भी मारते।

                   चले ना जाये कही ये यम के धाम
               बचा लो बचा लो तुम, इनको मेरे राम।

                       कवि आदित्य मौर्य
                           कंटालिया
                         8058398148

शनिवार, 13 मई 2017

प्यारी अम्मा

📋✍🏻

कुछ इस तरह दिन भर की, थकान उतार देती है
बेटे की मुस्कान देख माँ, अपने दुःख दर्द भुला देती है।

चुड़ी कंगन महंगे खिलौने, नहीं देने को पास में मग़र....
ग़रीब माँ अपने बच्चो को, लोरी गा के सुला देती है।

           
                   कवि आदित्य मौर्य
                          कंटालिया

शनिदेव सा कुरूप

मै शनिदेव सा कुरूप, तुम सूंदर रूप की काया हो....
मै धरती पर हु कबाड़ सा, तुम अंतरिक्ष की माया हो।

तूम 4जी जैसी तेज तरार, मै 2जी वाला अब्बा हु
तुम लाखों दिलों की धड़कन, मै खाली पड़ा डिब्बा हु।

तुम आसमान में उड़ने वाली, मै ज़मी का काला कीड़ा हु
तुम सतरंगी दुनिया वाली, मैं गहरे घाव की पीड़ा हु।

तुम रसगुले सी मीठी मीठी, मै करेले जैसा खारा हु
तुम परियों की रानी जैसी , मैं दिल तुम पर हारा हु।

                      कवि आदित्य मौर्य
                           कंटालिया
                        8058398148

गुरुवार, 11 मई 2017

एक भूतनी

जिसे मैंने अपना माना था
वो ही मुझे भुला कर बैठी है

ज़िंदा हु आज भी उसकी हसीन यादों में
किसी और को वो अपना बना कर बैठी है।

कर के मेरे इस दिल के टुकड़े टुकड़े
वो अपना दिल किसी और से लगा बैठी है

कल तक जो चलती थी हाथों में हाथ लेकर
आज वो ही हाथ किसी और को थमा बैठी है।

     
               ✍  कवि आदित्य मौर्य
                        कंटालिया
                  🙏8058398148🙏

इरादा

📋✍🏻........

चाँद तारे तोड़ लाने की,  बड़ी बातें नहीं करता....
जिसे कभी निभा ना सकू, ऐसा वादा नहीं करता।

इरादा है आस्मा तोड़ कर, दिखाऊ इस दुनिया को......
मगर औकाद से ज्यादा, हवा में उड़ा नहीं करता।☘

    
                ✨ कवि आदित्य मौर्य
                          कंटालिया
             🙏🏻💐💐💐💐💐🙏🏻