कवि आदित्य मौर्य
बुधवार, 25 अप्रैल 2018
ख़्वाब उन के
📋✍🏻......
छत पर चढ़ कर रोज, वो मुझे इशारा करती थी
परदे के पीछे छुप कर, वो मुझे निहारा करती थी।
सुन ना ले कोई दूजा, हम दोंनो की प्यारी बातें
चुपके चुपके नयनों से, वो मुझे पुकारा करती थी।
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