रविवार, 28 अक्तूबर 2018

पीड़ा नारी की



पकड़ के चोटी मुझे घसीटा, नयनों पर वार किया
आधी रात को प्रियतम ने, हमको ऐसे प्यार किया।

मीठी मीठी गाली उनकी, शक्कर जैसी लगती थी
आंखें थी बड़ी भयानक, रावण जैसी दिखती थी।
बिन गलती के हम पर, लातों से प्रहार किया
आधी रात को प्रियतम ने, हमको ऐसे प्यार किया ।।

गला दबाया प्यार से इतना, सांसे जैसे अटक गई
कुछ बोल नहीं पाई मैं, वाणी जैसे भटक गई ।
हिम्मत करके मैंने पूछा, कौनसा मैंने अपराध किया
देव तुल्य माना तुम्ही को, बस तुम्ही से प्यार किया।।

पैसे सामान दहेज ना लाई, पर प्यार की पूंजी लुटाई
घर में मुझे सम्मान मिलेगा, पापा ने दी मुझे विदाई।
अपना सब तुम्ही को माना, तुम्हारे लिए श्रृंगार किया
बदले में तुमने हमको ये, कैसा अनोखा उपहार दिया।।

कब तक इस समाज मे, यू नारी ठुकराई जाएगी
धन के लालच में आरी, हम पर चलाई जाएगी।
दहेज के लोभी ने देखो, हँस कर ज़िंदा मार दिया
आधी रात को प्रियतम ने, हमको ऐसे प्यार किया ।।


           

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